वो मेरे घर का भी किस्सा है,
कुछ यादें जो साथी थी तेरी,
अब मेरे दिल का हिस्सा है।।
वो मेरे घर की सब्जी, तेरे घर का वो पाया,
एक ही थाली में तेरी,
सुकून खाने का हमने पाया।
तब, कुछ तू लाया, कुछ मैं लाया।
वो तेरे अब्बा की डांट,
वो मेरे दद्दा की बैंत,
कुछ तू खाया, कुछ मैं खाया।
वो तेरी अम्मी की बातें,
वो मेरी मां की यादें,
कुछ भूल गया, कुछ याद आया।