मुझे पता है
मुझे पता है के तेरे दिल की क्या हसरत है
ज़ुबान पर नहीं, दिल में तेरे जो कुरबत है।
माशूक हूं मैं तेरा कोई गैर नहीं
एक बार देख, मुस्कुरा, बस इतनी ही इनायत है।
फ़िरदौस की मन्नत नहीं
बस तेरे साथ यूं ही गुजर जायुं।
सितम भी करले ये आलम मुझपर
गुरबत भी यही, फिरदौस भी यहीं।