Saturday, August 24, 2019

मुझे पता है

मुझे पता है
मुझे पता है के तेरे दिल की क्या हसरत है
ज़ुबान पर नहीं, दिल में तेरे जो कुरबत है
माशूक हूं मैं तेरा कोई गैर नहीं
एक बार देख, मुस्कुरा, बस इतनी ही इनायत है।

फ़िरदौस की मन्नत नहीं
बस तेरे साथ यूं ही गुजर जायुं।
सितम भी करले ये आलम मुझपर
गुरबत भी यही, फिरदौस भी यहीं।

3 comments: